Brihat Daivagya Ranjanam बृहद् दैवज्ञरंजनम्: (Part 1) (Classic Hindi) by Murlidhar Chaturvedi
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बृहद दैवज्ञ रंजनम् पुस्तक की विषय सूचि
बृहद दैवज्ञ रंजनम् पुस्तक/Brihad Daevgya Ranjanam Book में विषय सूचि अनुसार – प्रथमं ज्योति: शास्त्र प्रशंसा प्रकरणम् ।, मंगलाचरणम्, ज्योति:शास्त्रप्रव्रत्ति:, वेदांगत्वनिरूपणम्, ब्राह्मणपाठेधिकार:, वेदांगत्वाच्छूद्राद्यध्ययने निषेध:, विप्रवाक्यप्रशंसा द्वितीयं दैवज्ञलक्षणं प्रकरणम् ।, दवैज्ञलक्षणम्, दैवज्ञदोषा:, दैवज्ञप्रशंसा, नक्षत्रसूचिलक्षणम्, वर्षैकमध्ये दिनसंख्या, पितृदिनस्योदयास्तकालानाह, संवज्ज्ञपनम्, शकानयनम्, ईसवीशकानयनम् के बारे में विस्तार रूप से बताया गया है, जोकि बृहद दैवज्ञ रंजनम्/Brihad Daevgya Ranjanam Book के महत्वपूर्ण अंग है।
बृहद दैवज्ञ रंजनम् पुस्तक के लाभ
- बृहद दैवज्ञ रंजनम् पुस्तक को पढ़ने से सोलह संस्कारों के बारे में महत्वपूर्ण जानकरी मिलती है।
- बृहद दैवज्ञ रंजनम् पुस्तक को पढ़कर आप संस्कारों के महत्व को समझ सकते है।
- बृहद दैवज्ञ रंजनम् पुस्तक से आप अपने जीवन में होने वाली घटनाओं को जान सकते है।
बृहद दैवज्ञ रंजनम् पुस्तक का विवरण
स्वस्ति श्रीमन्महाराजधिराजद्विजराजरमेश महेशचरण शरण गुणिगणमण्डन परपक्षखंडन सर्वजनरंजन सर्वविद्याधारी सुजनसुखकारी करुणासागर राजकृत्यनागर गीतनृत्यादिसारपार भारसमरूप भूपकृतयूप काशीराज श्री 108 ईश्वरीप्रसाद नारायणसिंह जी. सी. पस. आई के पौत्र श्री आदित्य प्रसाद नारायण सिंह जूके विवाहोत्सव में एक नाड़ीकूट का ज्योतिर्विदणेशदत्तसे विवाद हुआ उक्तमहाराज की आज्ञा से इस संसार में अपनी इच्छा से भगवान ने ज्योतिष शास्त्र को प्रकट किया और पाराशरादि ऋषियों ने सहस्त्रों वर्ष तप करके शास्त्र से अपने अपने नाम का ज्योतिष शास्त्र निर्माण करके सब भारतवासियों का अज्ञान दूर करने के वास्ते यह ज्योतिष शास्त्र रचा वह ज्योतिषशास्त्र का पूर्ण विचार कर शिष्य जनों की मति विशद होने के वास्ते तदाश्रितज्योतिर्विच्छिरोमणि श्रीपण्डित गयादत्तात्मज रामदीन ने श्रीपण्डित भगवती प्रसाद के सहायता से इस बृहद दैवज्ञ रंजन का संग्रह किया इसमें नामकर्मादि सोलह संस्कारों का विवरण सुगमता से किया गया है यह ग्रन्थ देखने से सब विद्यार्थियों को बहुत आनन्द होगा। जिसके हर प्रकरण देखने से विचित्र चमत्कार देख पड़ता है।
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